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" मंगलसुत्त'" मंगलकर्म 38 प्रकार

  • मूर्खो की संगति ना करना।
  • बुद्धिमानों की संगति करना।
  • शीलवानो की संगति करना।
  • अनुकूलस्थानों में निवास करना।
  • कुशलकम का संचय करना
  • कुशलकर्मी में लग जाना।
  • अधिकतम ज्ञान का संचय करना।
  • तकनीकी विद्या अर्थात शिल्प सीखना।
  • व्यवहार कुशल एवं विनम्र होना
  • विवेकवान होना।
  • सुंदर वक्ता होना।
  • माता पिता की सेवा करना ।
  • पुत्र-पुत्री-स्त्री का पालन पोषण करना।
  • अकुशलकर्मी को ना करना ।
  • बिना किसी अपेक्षा के दान देना
  • धम्म का आचरण करना ।
  •  सगे-सम्बंधियों का आदर सत्कार करना ।
  • कल्याणकारी कार्य करना ।
  • मन, शरीर तथा वचन से परपीड़क कार्य ना करना।
  • नशीली पदार्थों का सेवन ना करना ।
  • धम्म के कार्यों में तत्पर रहना।
  • गौरवशाली व्यक्तित्व बनाए रखना ।
  • विनम्रता बनाए रखना।
  • पूर्ण रूप से संतुष्ट होना अर्थात तृप्त होना।
  • कृतज्ञता कायम रखना
  • समय समय पर धम्म चर्चा करना ।
  • क्षमाशील होना।
  • आज्ञाकारी होना।
  • भिक्षुओ, शीलवान लोगों का दर्शन करना।
  •  मन को एकाग्र करना।
  •  मन को निर्मल करना।
  • सतत जागरूकता बनाए रखना।
  • पाँच शीलों का पालन करना
  • चार आर्य सत्यों का दर्शन करना ।
  • आर्य अष्टांगिक मार्ग पर चलना।
  • निर्वाण का साक्षात्कार करना।
  • शोक रहित, निर्मल एवम निर्भय होना ।
  • लाभ-हानि, यश-अपयश, सुख-दुख, जय-पराजय से विचलित ना होना।
  • ndl.iitkgp.ac.in.

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Bhim Smaran, Bhim Stuti / भीम स्मरण , भीम स्तुति

भीम स्मरण सकलं विज्जं विदुरञानं देवरूपं सुजिव्हं निमल चक्खु गभिर घोसं गौरवण्णं सुकायं ।। अभय चित्तं निभय कामं सुरत धम्मं सुपेम | विरत रज्जं सुजननेतं भीमरावं सरामि | भीमरावं सरामि , भीमरावं सरामि ।। मराठी सर्वोत्तम विद्यासंपन्न , तीक्ष्ण बुद्धीसंपन्न , दिव्यरुप संपन्न , प्रभावशाली ध्वनी संपन्न , गौरवर्ण शरीर संपन्न , करुणा मैत्री संपन्न व निर्भयतेने धम्म कार्याला परिपूर्ण वाहून घेतलेले , जनसेवेसाठी मंत्रीपदाचा त्याग केलेले , जनतेचे श्रेष्ठ नेते , अशा सर्वगुण संपन्न परम पुज्य भीमरावांचे मी स्मरण करतो.   भीम स्तुती दिव्य प्रभरत्न तूं , साधू वरदान तूं , आद्य कूल भूषं तू भीमराजा ।।१।। सकल विद्यापति , ज्ञान सत्संगति , शास्त्र शासनमति , बुद्धि तेजा || २ || पंकजा नरवरा , रत्त स्वजन उद्धारा , भगवंत आमुचा खरा , भक्तकाजा || ३ || चवदार संगरी , शास्त्र धरिता करी , कांपला अरि उरी , रौद्र रुपा ।।४।। मुक्ती पथ कोणता , जीर्ण स्मृती जाळीता , उजाळीला अगतिका , मार्ग साजा ।।५।। राष्ट्र घटना कृति , शोभते भारती , महामानव बोलती , सार्थ संज्ञा ।।६।। शरण बुद्धास । शरण धम्मास । शरण संघास मी भीमराजा ।।७।।...

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